इस कोरोना नामक महामारी में जिस तरह से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां इस बीमारी से लड़ने में सक्षम हुई है इस बात को देखते हुए हमें अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर और अधिक विश्वास करना चाहिए तथा जो भी आयुर्वेदिक डॉक्टर ayurved के विद्वान हमारे देश में हैं उनसे भी मेरा निवेदन है की आयुर्वेद पर और अधिक रिसर्च की जाए ताकि और अधिक कारगर दवा विकसित की जा सके। ayurved की उत्पत्ति स्वयं ब्रह्मा जी के द्वारा हुई है तथा तथा आगे दक्ष प्रजापति अश्विनी कुमारों इंदर तथा अनेक आचार्यों द्वारा इस को आगे बढ़ाया गया लेकिन बाद में एक समय ऐसा आया कि हमारे देश पर विदेशी ताकतों का प्रभाव बढ़ गया हमारा देश विदेशियों का गुलाम भी रहा इन विदेशी लोगोें ने आयुर्वेद का पठन-पाठन रोक दिया तथा अपनी चिकित्सा पद्धति यहां पर चालू कर दी इससे ayurved को बहुत बड़ी हानि हुई जिसकी भरपाई करना बड़ा मुश्किल है ।। आज समय बदल चुका है अब यह सब हमारी समझ में आ गया है की आयुर्वेद हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है अब तो सरकार भी इसको बढ़ावा दे रही है लेकिन आमजन भी यदि इसमें सहयोग करें तो हमें कम कीमत में अच्छी...
यदि आपके घर की चारदीवारी के अंदर की तरफ आग्नेय कोण में थोड़ी खाली जगह है तो आप अनार का पौधा अवश्य लगाएं यह पौधा आकार में बहुत बड़ा नहीं होता इसलिए अधिक स्थान भी नहीं घेरता है अब आपके दिमाग में यह सवाल आएगा कि इसके पीछे ऐसी क्या खास बात है। आजकल वास्तु के महत्व को लगभग सभी लोग मानने लगे हैं यदि अनजाने में आपके घर में आपने कोई फलदार पौधा वास्तु के विपरीत लगा रखा है और आपको इस बात का पता लग जाता है तो आप उसको तुरंत उखाड़ कर फेंक देंगें चाहे वह कितना ही लाभकारी क्यों ना हो। इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है की अनार के पौधे को घर में किस दिशा में लगाया जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण अनार के पौधे के लिए सही स्थान है यदि आप अग्नि कोण में इस पौधे को लगाएंगे तो यह आपके लिए अत्यंत सुखदाई व शुभ कारक साबित होगा तथा इससे आपके ग्रह दोष दूर होंगे। ऐसा माना जाता है कि अनार के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों निवास करते हैं, अनार के फूलों को शहद में डुबोकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं । पुराने जमाने में अनार की टहनी से बनाई गई ...