पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व उपयोगी अंग है। आयुर्वेद के 8 अंगो में काय चिकित्सा को प्रधान अंग माना गया है एवं पंचकर्म कायचिकित्सा साधकों का प्रमुख साधन उपाय है। कम समय में पंचकर्म चिकित्सा का अत्यधिक विस्तार हो जाने के कारण पंचकर्म एक अंग के रूप में ही नहीं अपितु आयुर्वेद चिकित्सा की भिन्न एवं स्वतंत्र शाखा के रूप में जाना जाता है। पंचकर्म चिकित्सा में 5 कर्मों अर्थात पांच प्रकार के शोधन कर्मों का समावेश किया जाता है जो निम्न प्रकार हैं - १. वमन २. विरेचन ३. निरूह वस्ति ४. अनुवासन वस्ति ५. नस्य इस प्रकार यह स्पष्ट है कि पंचकर्म शोधन चिकित्सा के अंतर्गत संपादित करवाए जाने वाले विशिष्ट पांच कर्म हैं जिनके माध्यम से मनुष्य के शरीर में अवस्थित विकृत दोषों का शरीर के विभिन्न मार्गो से निर्हरण कर संशोधन किया जाता है और मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। अतः संक्षिप्त: पंचकर्म चिकित्सा एक प्रकार की संशोधन चिकित्सा है जिसके अंतर्गत पांच प्रकार के प्रमुख साधन कर्म का प्रयोग मनुष्य के स्वास्थ्य रक्षण तथा रग निवारण हेतु किया जाता है।...
यदि आपके घर की चारदीवारी के अंदर की तरफ आग्नेय कोण में थोड़ी खाली जगह है तो आप अनार का पौधा अवश्य लगाएं यह पौधा आकार में बहुत बड़ा नहीं होता इसलिए अधिक स्थान भी नहीं घेरता है अब आपके दिमाग में यह सवाल आएगा कि इसके पीछे ऐसी क्या खास बात है। आजकल वास्तु के महत्व को लगभग सभी लोग मानने लगे हैं यदि अनजाने में आपके घर में आपने कोई फलदार पौधा वास्तु के विपरीत लगा रखा है और आपको इस बात का पता लग जाता है तो आप उसको तुरंत उखाड़ कर फेंक देंगें चाहे वह कितना ही लाभकारी क्यों ना हो। इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है की अनार के पौधे को घर में किस दिशा में लगाया जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण अनार के पौधे के लिए सही स्थान है यदि आप अग्नि कोण में इस पौधे को लगाएंगे तो यह आपके लिए अत्यंत सुखदाई व शुभ कारक साबित होगा तथा इससे आपके ग्रह दोष दूर होंगे। ऐसा माना जाता है कि अनार के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों निवास करते हैं, अनार के फूलों को शहद में डुबोकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं । पुराने जमाने में अनार की टहनी से बनाई गई ...