गिलोय (giloy)आयुर्वेद की प्रमुख औषधि है।यह अनेक रोगों में प्रयोग की जाती है और इसका शत प्रतिशत लाभ(result) मिलता है। वैसे तो प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों में किया जाता है। लेकिन कुछ सालों से डेंगू चिकनगुनिया प्लेटलेट्स का कम होना स्वाइन फ्लू आदि रोगों में पूरी तरह कारगर सिद्ध हुई है। आजकल कोरोना नामक महामारी(Covid-19) भी फैली हुई है जो आज तक की सभी बीमारियों में सबसे खतरनाक वह जानलेवा है। इसके इलाज के लिए भी कई ज्ञाता वैद्य गिलोय का प्रयोग करने के लिए कह रहे हैं। योग एवं आयुर्वेद के मर्मज्ञ विद्वान श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी व उनके शिष्य आचार्य बालकृष्ण जी ने गिलोय (Giloy wikipedia )पर काफी रिसर्च की है स्वामी जी ने ही इस औषधि की महत्ता को घर-घर तक पहुंचाया है। क्योंकि गिलोय को आप अपने घर में बगीचे में कहीं भी लगा सकते हैं इसलिए यह अमृत रूपी औषध हमें फ्री में मिल जाती है। आयुर्वेद में इसे इतना महत्वपूर्ण माना है कि भाव प्रकाश आदि प्रसिद्ध ग्रंथों में तो इसके नाम से अलग वर्ग बनाया गया है जिसका नाम है गुडुच्यादी वर्ग है।गुडुचि गिलोय का संस्कृत नाम है।
गिलोय की उत्पत्ति
भावप्रकाश निघंटू के अनुसार: जब लंका के अभिमानी राजा रावण ने श्री रामचंद्र जी की पत्नी सीता का हरण कर लिया था तब बलवान श्री रामचंद्र जी ने वानरों की सेनाओं से युक्त होकर शत्रु रावण को युद्ध में मारा। बल से गर्वीले र्देवताओं के दुश्मन राजा रावण के मारे जाने पर हजार नेत्रों वाले राजा इंद्र श्री रामचंद्र जी पर अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने इस युद्ध में जो कोई बंदर रावण की सेना द्वारा मारे गए थे उन्हें अमृत की वर्षा करके जिंदा कर दिया। उसके बाद जिन स्थानों पर वानरों के शरीर से अमृत की बूंदें गिरी वहां वहां पर गिलोय औषध पैदा हुई I अमृत से पैदा होने के कारण इसका नाम अमृता पड़ा।
Names of Giloy in sanskrit :
संस्कृत में इसे गुडुची, मधुपर्णी, अमृता, अमृतवल्लरी आदि अनेक नामों से जाना जाता है।
गुण: भाव प्रकाश निघंटु के अनुसार: गिलोय ज्वरहर,रसायन, कटु, तिक्त तथा कषाय रस युक्त,विपाक में मधुर, संग्राही,लघु,बलकारक, अग्निदिपक, तथा त्रिर्दोष,आम, तृषा,दाह,मेह,कास,पांडू (पीलिया रोग),कामला, कुष्ठ,वातरक्त, क्रमी, प्रमेह,कास श्वास, अर्श, मुत्रकृछ, ह्रदय रोग और वात को हरने वाली है।
आपको मैं एक दोहा बता रहा हूं जिसमें आपको गिलोय का पूरा सार मिल जाएगा।
"हरड़ बहेड़ा आंवला
उस पर नीम गिलोय
देदे बेटा वैद्य का
राम करे सो होय"
मेरे अनुसार इस दोहे का अर्थ इस प्रकार है
हरड़ बहेड़ा और आंवला तीनों को मिलाकर त्रिफला योग बनता है जो रसायन है अनेक रोगों में त्रिफले का उपयोग होता है आगे इसमें लिखा है 'उस पर नीम गिलोय'इसका अर्थ है त्रिफले का सेवन करके ऊपर से नीम गिलोय का काढ़ा पीएं आयुर्वेद में नीम पर चढ़ी हुई गिलोय की बेल को गुणों में सर्वोत्तम माना है। क्योंकि नीम भी ज्वर नाशक व खून को साफ करने वाला है।
गिलोय का काढ़ा बनाने की विधि नीचे मैं आपको बताऊंगा अतः इस दोहे का अर्थ यह है की एक चम्मच त्रिफला चूर्ण लेकर ऊपर से गिलोय का काढ़ा पीएं यह योग आपके समस्त रोगों का नाश करने वाला है इसलिए हे वैद्य पुत्र इस औषध को भगवान श्री रामचंद्र जी का नाम लेकर रोगियों को दे दो तथा बाकी का काम भगवान रामचंद्र जी पर छोड़ दो इस संसार में जो कुछ भी होता है वह उनकी सहमति से ही होता है।
How to make giloy kadha :
काढ़ा बनाने की विधि (एक व्यक्ति के लिए)- यदि आप को संपूर्ण लाभ उठाना है तो इसको उबाले नहीं। लगभग 5 इंच लंबा व एक अंगुल मोटा तना(यह मात्रा स्थिति अनुरूप कम ज्यादा की जा सकती है)लेकर उसे कूट लें तथा एक बर्तन में एक गिलास गर्म पानी ले लें और फिर उस कुटी हुई गिलोय को बर्तन में डाल दें तथा ढक्कन से ढक दें और इसे दो घंटे रखा रहने दें बाद में छान कर प्रयोग करें। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय का अभाव रहता है इसलिए उबालने से ये जल्दी तैयार हो जाता है इसके लिए आपको को आधा गिलास पानी ज्यादा लेना पड़ेगा। यदि आपको diabetes(मधुमेह)
की बीमारी नहीं है तो इसे आप शहद मिलाकर भी ले सकते हैं।
गिलोय में एक अद्भुत गुण जो मैं आपसे साझा कर रहा हूं ।
यह गर्म प्रकृति तथा सर्द प्रकृति दोनों में समान रूप से लाभकारी है यदि किसी को हल्की ठंड भी सहन नहीं होती तो उसे सुबह-शाम गिलोय के काढ़े को गुनगुना करके पीने से एक सप्ताह में ही चमत्कारिक लाभ होगा।
इसके विपरीत यदि किसी को गर्मी सहन नहीं होती हो तो उसके लिए गिलोय को रात को ठंडे पानी में भिगो दें तथा सुबह छानकर पिला दें इसको गिलोय हिम कहते हैं।
गिलोय को घर में कैसे लगाएं:
इसको लगाने के लिए जून-जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त है इसके तने में जगह-जगह पर गांठें होती हैं। उन्ही गांठों में से नए पौधे की उत्पत्ति होती है। इसके तने का एक गांठ युक्त टुकड़ा ले लें तथा आपके बगीचे में कोई पेड़ हो उसके तने के साथ लगा दे क्योंकि यह लता जाति की औषधि है । लता (बेल) पेड़ के सहारे ही ऊपर चढ़ सकती हैं। इसको आप रस्सी के सहारे भी घर की छत तक ले जा सकते हैं।
रोगों के अनुसार गिलोय की सेवन विधि
Giloy for fever :
(1) ज्वर : सभी प्रकार के ज्वर(बुखार)को दूर करने के लिए वर्षों से इसका प्रयोग किया जाता रहा है ।आयुर्वेदिक कंपनियां अमृतारिष्ट नाम से एक दवा बनाती हैं जो समस्त प्रकार के बुखारों में बहुत अच्छा काम करती है।
Giloy for Piles
(2) बवाशिर (अर्श): ताजा गिलोय को कूटकर उसका एक चम्मच स्वरस निकाल लें और उसे एक गिलास छाछ (लस्सी) में मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें इसके उपर एक घंटे तक ओर कुछ ना खाएं तथा तले हुए पदार्थ व तेज मिर्च मसालों से बचें ताकि पूरा लाभ मिल सके।
Giloy for Dengue and chikungunya
(3) डेंगू बुखार प्लेटलेट्स कम होना और चिकनगुनिया में: इसके लिए सुबह-शाम इसका काढ़ा बनाकर ले सकते हैं। तथा इसके लिए बनी बनाई औषधियां भी बाजार में मिलती हैं जैसे कि गिलोय सत्व ओर गिलोय घन बटी।ये आपको बाबा रामदेव के स्टोर में मिल जाएंगी कई अन्य आयुर्वेदिक कंपनियां भी इन्हें बनाती हैं जैसे कि जमुना,डाबर, बैद्यनाथ आदि।
गिलोय के गुण इतने हैं कि सभी का विवरण लिखेंगे तो पूरी किताब लिखी जाएगी अंत में मैं इतना ही कहुंगा कि सभी को ये अमृत रुपी औषधि हमें अपने घरों या बगिचों में जरूर लगानी चाहिए।
।।नमस्कार।।


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