गुड़ का महत्व:
गुड़ एक sweet dish तो है ही साथ में हमारे देश में इसकी एक सांस्कृतिक पहचान भी है प्राचीन काल से ही पारीवारिक व धार्मिक आयोजनों में गुड़ प्रसाद के रूप में बांटने की प्रथा है, लड़के के जन्म पर होने वाले आयोजनों में महिलाओं द्वारा गीत गाने और गुड़ बटवाने की प्रथा आज भी प्रचलित है।
अतः घर में गुड़ का होना शुभ माना जाता है
कोई भी पदार्थ कितना भी लाभकारी क्यों न हो लेकिन यदि हम सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो उसका जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिल पाता इसलिए हमें ये पता होना चाहिए कि गुड़ कितने प्रकार का है और सही गुड़ की पहचान क्या है तथा कब और किन रोगों में कितनी मात्रा में खाया जाय।
गुड़ को जोड़ों के दर्द के लिए व कब्ज के लिए कैसे प्रयोग करें ये पोस्ट के आखिर में पढ़ें।
गुड़ के प्रकार
खजूर से बनने वाला गुड़ अधिक गुणकारी माना जाता है
गुड़ के प्रकार
(1) ईख (गन्ना) से बनने वाला
(2) खजूर(ताड़ी) से बनने वाला
खजूर से बनने वाला गुड़ अधिक गुणकारी माना जाता है
क्योंकि इसको साफ करने के लिए चूने या सोडे का प्रयोग नहीं किया जाता परन्तु ये कम मात्रा में उत्पन्न होता है।
विश्व की सबसे बड़ी गुड़ मंडी उत्तर प्रदेश के सितापूर जिले में है।
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ भावप्रकाश निघण्टु में गुड़ दो प्रकार का माना है नया व पुराना।
गुड़ के लाभ: ( Jaggery Benefits)
गुड़ में काफी मात्रा में आयरन, पोटाशियम, मैग्निशियम और ग्लुकोज़ आदि मौजूद रहते हैं।
(1) गुड़ हमारी पाचन क्रिया को ठीक रखता है।
(2) फेफड़ों को मजबूत करता है और श्लेष्मा को बाहर निकाल कर खांसी ज़ुकाम को दूर करता है।
(3) जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है।
भावप्रकाश निघण्टु के अनुसार:-
ओजवर्धक, गुरु, स्निग्धा,वातनाशक, मूत्र शोधन करने वाला, थोड़ा पितनाशक एवं मेद,कफ, कृमी तथा बल को उत्पन्न करने वाला है।
इसके अनुसार एक वर्ष पुराना गुड़ खाने के लिए सही होता है,नया गुड़ भारी व कफकारक होता है।
सही गुड़ की पहचान:
गुड़ बनाते समय जब गन्ने के रस को कढ़ाई में गर्म किया जाता है तब उसमें मिले हुए फालतू पदार्थों (मैली) को अलग करने के लिए चूने का प्रयोग किया जाता है लेकिन आजकल चूने की जगह मिठे सोडे (sodium bicarbonate)का प्रयोग अधिक किया जाता है, इसके दो कारण हैं एक ये साफ जल्दी करता है दुसरा इससे अधिक सफाई आती है और गुड़ अधिक सुंदर दिखता हैै
अतः जो गुड़ अधिक सुंदर दिखता है और अधिक भूरे व पीले रंग का होता है समझ लो उसमें सोडा ज्यादा है
अतः वह ठीक नहीं है, इसे खाने के बाद आपको हल्का चरचरापन महसूस होगा दुसरी पहचान चाय बनाते समय हो जाती है दूध डालने के बाद यदि चाय फट जाए तो गुड़ सही नहीं है।
गुड़ के दो प्रयोग जो मैंने खुद आजमाए हैं तथा पूर्ण लाभकारी पाया है।
(1) जोड़ों के लिए:-इसमे मोजूद पोटाशियम जोड़ों का दर्द व सूजन दूर करने में सहायक है, दुसरा गुड़ में मैग्नेशियम भी काफी मात्रा में पाया जाता है जो मांशपेशियों को ठीक रखता है।
प्रयोग विधिः 30 ग्राम गुड़ व इतने ही भूनें हुए चणे(छोटे) सायंकाल चार बजे हर रोज खाएं और लाभ देखें
बासी भोजन, उड़द की दाल व मावे (खोवा) से बने पदार्थ न खाएं।
(2) कब्ज दूर करने के लिए:- 20 से 30 ग्राम गुड़ रात को भोजन के 40 मिनट बाद गुनगुने दूध से लें। (मात्रा आप सामर्थ अनुसार कम ज्यादा कर सकते हैं)
(3) बदहजमी, गैस व सिरदर्द में खाने के तुरंत बाद सेवन करें।
गुड़ सेवन किन बातों का ध्यान रखें
(1) छाछ के साथ गुड़ का सेवन न करें ऐसा करने से गला खराब हो सकता है और लम्बे समय तक सेवन करने से आवाज बिल्कुल खराब हो सकती है।
(2) अगर दांतों में कैविटी हो तो भी गुड़ का सेवन न करें।
(3) गुड़ खाने के तुरंत बाद पानी न पिएं ।


Very nice
ReplyDeleteThank you for your appreciation
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