आज पूरे विश्व में कोरोना वायरस(covid-19) नामक महामारी जिसकी शुरुआत चीन(china) से मानी गई है ने कोहराम मचा रखा है एसे में हर कोई यह सोचने पर मजबूर है कि कैसे इस भयानक महामारी से नीपटा जाए।
क्या सूर्य की तेज किरणों में कोरोना जैसे विषाणुओं को मारने की ताकत है ?
यह तो हम सबको पता ही है कि सूर्य के बिना जीवन असंभव है हमारे देश में सूर्य को आदिकाल से ही सृष्टि को चलाने वाले देवता के रूप में माना जाता है ।
सूर्य को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे कि - रवि, सूरज,दिनकर, दिवाकर,भानु, प्रभाकर, मार्तंड आदि।
रविवार को सूर्य का वार माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में तो सूर्य को राजा माना गया है। अथर्ववेद में तो साफ कहा गया है कि सूर्य की किरणों में विषाणुओं को मारने की ताकत है।
वेद विश्व के सबसे प्राचीनतम ग्रंथ हैं। वेद शब्द का अर्थ है ज्ञान यह संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है।
किंतु विडंबना इस बात की है कि हम भारतीय भी वेदों में लिखी बातों को महत्व नहीं देते ।
यदि अमेरिका या अन्य यूरोपियन देशों के द्वारा यह कहा जाएगा की सूर्य से कोरोना जैसे विषाणु नष्ट होते हैं तब हम भारतीय भी कहने लगेंगे की हां ऐसा हो सकता है क्योंकि अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इस बात को सही पाया है इसलिए यह सही है।
यदि आज मैं इस प्रकार का दावा करूं तो हमारे लोग ही मुझसे सवाल करेंगे कि आपके पास इसका क्या प्रमाण है।
क्या हम वेदों को प्रमाण नहीं मान सकते। क्या वेदों में लिखी बातों पर हमारे देश के वैज्ञानिकों द्वारा शोध नहीं होना चाहिए ।
वेद संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं अतः उनको समझने के लिए उनकी सही व्याख्या होना जरूरी है ।
आओ देखते हैं अथर्ववेद में क्या लिखा है
अथर्ववेद अध्याय छठवां (ऋषि:-भागली देवता- सूर्य,गाव,भेषजन छंद-अनुष्टुप) रात्रि अंधकार में जो पिशाच आदि उपद्रव करते हैं, उन को नष्ट करने के लिए सूर्य अंतरिक्ष से उदय हो रहे हैं।
उन सूर्य को सब सामने देखते हैं, क्योंकि वह उदयाचल पर्वत के शिखर पर उदय होते हैं वह हमसे अदृश्य रहने वाले वाले कीटाणुओं को भी मार डालते हैं।
(इस छंद में सूर्य को रात के समय में जितनी समस्याएं होती हैं उनको दूर करने वाला बताया गया है।
इसमें सूर्य को उदयाचल पर्वत के शिखर से उदय होता बताया गया यह उदयाचल पर्वत क्या है।
हमारे पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार यह पूर्व दिशा में एक पर्वत है जो शाकद्वीप में बताया गया है।
इसमें आगे जो लिखा है वह काफी महत्वपूर्ण है इसमें लिखा है की जो कीटाणु हमें दिखाई नहीं देते सूर्य देव उनको भी मार डालते हैं।)
अथर्ववेद का दूसरा अध्याय ३२वांछंद(ऋषि-कणव देवता आदित्य छंद-गायत्री,अनुष्टप, उष्णिक):-उदय होते हुए सूर्य गौंवों के शरीर में प्रविष्ट हुए कर्मियों को अपनी रश्मि उसे नष्ट करें।
चितकबरे
चार नेत्र वाले श्वेतादी अनेक वर्ण और आकार वाले कर्मियों को मैं उनकी देह सहित नष्ट करता हूं।
हे कर्मियों अत्री कणव और जमदग्नि के मंत्रों से मैं तुम्हें नष्ट करता हूं। महर्षि अगस्त्य के पुनरउत्पत्ति न होने वाले मंत्र से कीड़ों को नष्ट करता हूं।
(इस छंद में सूर्य देव से प्रार्थना की गई है कि हे सूर्य देव हमारे गायों के शरीर में जो विषाणु प्रविष्ट हो गए हैं कृपया करके आप अपनी तेज किरणों से उनको नष्ट करें इसे पशुओं के विषाणुओं को मारने की बात कही गई है ताकि यह जानवरों से मनुष्यों में न फैल जाएं। कोरोना वायरस के बारे में भी यही विचारधारा है की यह जानवरों से मनुष्य में आया है । आगे इसमें मंत्रों द्वारा भी विषाणु को मारने के लिए कहा गया है)
*सूर्य की किरणों में अनेक रोगों को दूर करने की शक्ति है। सूर्य विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत है
*शरीर में रक्त संचार (blood circulation) को ठीक रखता है।
*आयुर्वेद के अनुसार सूर्य से हमारे शरीर की अग्नि बढ़ती है जिससे हमारी पाचन क्रिया ठीक बनी रहती है।*सूर्य से मिलने वाली ऊष्मा हमारे शरीर का तापमान बढ़ाती है जिससे हमे खांसी ज़ुकाम जैसे रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
आजकल शहरों में बहुमंजिला इमारतें बनी हुई है ऐसे में की किरणें तो दूर सूर्य के दर्शन भी नहीं हो पाते।
कई देशों में तो अलग से चिकित्सा प्रणाली चला रखी है जिसे सन बाथ थेरेपी (sun bath therapy) कहते हैं।
सूर्य किरणों का लाभ लेने की सही विधि
ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां सूर्य की किरणें पूर्ण रूप से आती हों और वह स्थान लेटने के लिए भी ठीक हो शरीर पर कम वस्त्र हों ताकि सुर्य की धूप अच्छी तरह ग्रहण कर सकें।
सर्वप्रथम अपने सिर को कपड़े से ढक लें तथा बाकी शरीर पर सूर्य का प्रकाश लगने दें। पहले दिन केवल 15 मिनट तक इसे ग्रहण करें बाद में हर रोज 5 मिनट बढ़ाते जाएं और आधे घंटे तक ले जाएं ।
इससे ज्यादा धूप सेवन करना ठीक नहीं है। इसका सही समय सुबह 8:00 बजे तक और शाम को 5:00 बजे के बाद , सर्दियों में सुबह थोड़ा देर से तथा सायंकाल थोड़ा पहले शुरू कर सकते हैं ।यह समय भारतीयों के लिए है।
विश्व में जहां बहुत ज्यादा सर्दी पड़ती है ऐसे देशों में दिन के टाइम में भी हो सकता है।
धूप स्नान करने के बाद स्नान करने की विधि
एक या दो बाल्टी गुनगुना पानी लें सर्दियों में अधिक गर्म भी ले सकते हैं ।
इसमें आप इसमें आप नीम व तुलसी के पत्तों का पानी उबाल कर मिला सकते हैं। (एक मुट्ठी नीम के पत्ते तथा दस पंद्रह पत्ते तुलसी के)एक सूती कपड़ा लेकर पानी में भिगोकर अच्छी तरह रगड़ कर स्नान करें।
इस तरह से स्नान करने से आपका आपका शरीर कीटाणुओं से मुक्त हो जाएगा तथा शरीर का रक्त संचार ठीक हो कर के इसे घर्षण स्नान कहते हैं ।
सूर्य चिकित्सा के बारे में अधिक जानकारी के लिए गायत्री परिवार द्वारा प्रकाशित 'सुर्य चिकित्सा विज्ञान' पुस्तक तथा आचार्य सत्यानंद द्वारा लिखी गई पुस्तक 'सूर्य चिकित्सा' आप पढ सकते हैं जिनमें आपको काफी उपयोगी बातें मिल सकती हैं।
अंत में मैं आपको इतना ही कहुंगा कि वेदों को इश्वर द्वारा रचित माना गया है तथा ये भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं । इन्हें पढ़ें समझें तथा औरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें । मैं तो कहता हूं कि जन्म दिन और सेवानिवृत्ति जैसे आयोजनों पर भेंट स्वरूप वेदों की पुस्तकें दें।
नमस्कार

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