वैसे तो नींबू (lemon) का इस्तेमाल कोई नया नहीं है हर घर में नींबू मौजूद रहता है और किसी न किसी रूप में हम इसका प्रयोग करते रहते हैं लेकिन इसे दवा का रूप देने के लिए हमें अन्य चीजों का भी इसके साथ प्रयोग करना पड़ेगा जैसे मिश्री या शक्कर, पुदीना, सोंफ, जीरा, नमक आदि। नींबू की कई किस्में होती है लेकिन कागजी नींबू ही ज्यादा गुणकारी व प्रयोग किया जाने वाला है। आयुर्वेद में नींबू को हितकारी बताया गया है आयुर्वेद के अनुसार:--कागजी नींबू त्रिदोषहर ,पाचक, दीपक ,रुचिकर ,कफ ,वायू ,खांसी, वमन , विसूचिका आदि अनेक रोगों को दूर करने वाला होता है इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है जो चर्म रोग तथा बालों (केश) के रोग दूर करने में सहायक है ।
नींबू के बारे में एक कहावत है-
"इमली में गुण एक है,
अवगुण पूरे बीस।
नींबू में अवगुण नहीं, गुण हैं पूरे बीस।।"
एक गिलास नींबू शरबत तैयार करने के लिए एक नींबू का रस दो चम्मच मीठा तथा दो चुटकी नमक की जरूरत होती है जितने गिलास शरबत तैयार करना हो उसके लिए इसी अनुपात से यह चीजें बढ़ाते जाएं।
(1) नींबू पुदीना शरबत:-गुर्दों(kidneys) को ताकत देता है और ह्रदय के लिए हितकारी है तथा जी मिचलाना और उल्टी को रोकता है तथा गर्मी से होने वाले दस्तों के लिए अत्यंत फायदेमंद है।
शरबत तैयार करने की विधि:--एक गिलास शरबत तैयार करने के लिए चीजें
*साफ पानी एक गिलास
*एक नींबू का रस
*चार या पांच पुदीने की पत्तियां
*दो चम्मच मीठा (सेहत की दृष्टि से मिठे में चीनी की बजाए मिश्री लेना ज्यादा लाभदायक है)
*चुटकी भर भुना हुआ जीरा व दो चुटकी नमक जायके के लिए मिला सकते हैं।
(2)नींबू सोंफ शरबत:--नींबू सौंफ का शरबत एसिडिटी, गैस अफारा व कब्ज दूर करता है और आंखों की रोशनी बढ़ाता है तथा खाने से आधे घंटे पहले सुबह-शाम सेवन करने से मोटापे को कम करने में भी सहायक है।
तैयार करने की विधि:--
*एक मिट्टी का बर्तन
*निंबू का रस
*ताजा सोंफ
*मिश्री
एक गिलास शरबत के लिए एक नींबू का रस, एक चम्मच सोंफ तथा दो चम्मच मिश्री लें, यदि ज्यादा गिलास शरबत बनाना हो तो इसी अनुपात से सभी चीजों को बढ़ा दें। मिट्टी के बर्तन में पानी डालें तथा सभी चीजें उसमें डालकर अच्छी तरह मिला लें और दो-तीन घंटे रखा रहने दें उसके बाद मसलकर छान लें बस शरबत तैयार है।
(3)नींबू शक्कर का शरबत:--यह शरबत कब्ज को दूर करने वह भूख बढ़ाने में विशेष फायदेमंद है कब्ज के लिए जो बाजार से दवाइयां मिलती हैं उनमें ज्यादातर में सनाय होता है जो लंबे समय तक प्रयोग करने से आपकी आंतों को खराब कर देता है। इस शरबत के प्रयोग के कोई साइड इफेक्ट नहीं है बल्कि यह आंतों को शक्ति प्रदान करता है। इसे रात को भोजन के बाद सेवन करना चाहिए, इसे गुनगुना करके सेवन करें तथा साथ में दूध का प्रयोग ना करें और यदि किसी को एसिडिटी की प्रॉब्लम हो तो यह भोजन से पहले सेवन करें।
तैयार करने की विधि :--
इसमें मीठे के रूप में चीनी या मिश्री की जगह शक्कर का इस्तेमाल करना है, बस इसमें तीन चीजों का इस्तेमाल होता है नींबू शक्कर और पानी।
जिनकी आंखें कमजोर हो चुकी हैं तथा लंबे समय से पेट के रोगी हैं वो इस शरबत का फायदा जरूर उठाएं।
नींबू का शरबत किन को सेवन नहीं करना चाहिए:--अस्थमा रोग जिसे दमा रोग भी कहते हैं और नजला जिसमें लगातार छिकें आती रहती हैं तथा गठिया रोग( बाए )के रोगी।
जिनको डायबिटीज यानी कि शुगर की बीमारी है वह शरबत की जगह नींबू पानी ले सकते हैं जिसमें मिठे की बजाए हल्का नमक और भुना हुआ जीरा डाला जा सकता है।
प्राकृतिक चिकित्सा (nature cure) में नींबू के सेवन को विशेष महत्व दिया गया है शरीर से विजातीय पदार्थ (toxic elements)बाहर निकालने नींबू पानी काफी असरदार होता है इसके लिए प्राकृतिक चिकित्सक ठोस आहार को बंद करके हर रोज नींबू पानी का सेवन करने की सलाह देते हैं। तथा इसके साथ साथ पेट की सफाई के लिए प्राकृतिक चिकित्सा में नींबू पानी का एनिमा भी दिया जाता जिससे बड़ी आंत की सफाई अच्छी तरह हो जाती है।
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