जामुन के फायदे देखकर आप रह जाएंगे आश्चर्यचकित। you will be surprised to see the benefits of blue berries
जामुन(blue berry) के बारे मैं अधिकतर लोग यही सोचते हैं की यह केवल मधुमेह की बीमारी में ही काम आता है परंतु ऐसा नहीं है इससे अलग अन्य कई प्रकार की बीमारियों में भी यह अत्यंत लाभकारी है।
जामुन भारत के लगभग सभी प्रांतों में पाया जाता है इसका पेड़ काफी ऊंचा व विस्तार लिए हुए होता है जामुन के पत्ते छोटे से मध्यम आकार के तथा चिकने होते हैं और एक दूसरे के विपरित होते हैं। जामुन के फूल मंजरियों के रूप में आते हैं तथा अत्यंत सुगंधित होते हैं इसके फल लंबाई कम व गोलाई अधिक लिए हुए होते हैं तथा पकने पर बैंगनी रंग के हो जाते हैं, जामुन की कई प्रजातियां पाई जाती हैं इसके पत्ते छाल फल तथा बीज काम में आते हैं।
जामुन के गुण :--
वेरीकोज वेंस(varicose veins) में जामुन खाना बहुत फायदेमंद है
इस बीमारी में नशों में खून जम जाता है जिससे नशें फूली हुई तथा मोटी दिखाई देती हैं। यह बाकी शरीर की बजाए टांगों में ज्यादा देखने को मिलता है तथा पुरुषों के मुकाबले औरतों में अधिक पाया जाता है । जिन्हें अधिक देर तक खड़े होकर काम करना पड़ता है उनको यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण रक्त का संचार नीचे की तरफ हो जाता है जिससे यह रोग होता है । जामुन में विटामिन सी(vitamin c ) प्रचुर मात्रा में पाई जाती है विटामिन सी खून में जमने वाले थक्के(blood clots) को दूर करती है इसलिए जामुन वेरीकोज वेन में काफी लाभदायक है।
आंखों की ज्योति बढ़ती है:--जामुन में अधिक मात्रा में बीटा केराटीन(bita-keratin) पाया जाता है जो आंखों की ज्योति बढ़ाने में सहायक है तथा जिनको रतोंधी रोग(night blindness) होता है उनके लिए जामुन का प्रयोग विशेष फायदेमंद है।
मधुमेह (diabetes)की बीमारी में अत्यंत लाभदायक है :--इस बीमारी के लिए जामुन का प्रयोग वर्षों से किया जाता रहा है जामुन हमारे रक्त्त में शर्करा (sugar)को नियंत्रित करता है जामुुन को आंवलेेे के साथ प्रयोग कर सकते हैं !
जामुनादि चूर्ण बनाने की विधि :--जामुन(blue berry) की गुठलियों का चूर्ण तथा आंवले का चूर्ण संभाग लेकर उससे आधा सैंधा नमक मिला लें (50 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण +50 ग्राम आंवले का चूर्ण + 25 ग्राम सैंधा नमक) तथा इसमें से एक छोटी चम्मच सुबह नाश्ते से आधे घंटे पहले पानी से लें और लाभ उठाएं।
मधुमेह के कारण होने वाले मोतियाबिंद में :-- मधुमेह के रोग में रक्त में शर्करा की मात्रा (blood sugar level) बढ़नेे से मोतियाबिंद का खतरा बना रहता है जामुन रक्त में शर्करा की मात्रा को सीमित रखता है अतः जल्दी मोतियाबिंद नहीं बनता।
जामुन का सिरका (blueberry vinegar) :--जामुन के सिरके के अनेक लाभ हैं *इससे हमारी पाचन क्रिया तेज होती है * रक्त में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉरोल को कम करता है इसलिए मोटापे को कम करने में भी सहायक है * अचार को सुरक्षित रखनेेे के लिए प्रयोग किया जाता है।(अधिक कमजोर व्यक्ति, छोटा बच्चा तथा जिसके पेट मेंं घाव हों उनको सिरके का प्रयोग नहीं करना चाहिए)
सिरका(vinegar) बनाने का आसान तरीका :--
सामग्री
(1) 2 किलो पके हुए जामुन
(2) एक कप गन्ने का सिरका (लगभग 200ml)
(3) दो चम्मच शहद
जामुन को अच्छी तरह धो ले और फिर उसे अच्छी तरह से सुखा लें ताकि उसमें पानी बिल्कुल ना रहे। जामुन की गुठली अलग करलें और फिर जामुन को एक कपड़े में डालकर उसे कांच के जार में निचोड़ लें। इस बात का ध्यान रखें कि जो जार आप ले वह चीनी मिट्टी या कांच का होना चाहिए। धातु(metal) का कहीं भी यूज ना करें क्योंकि धातु के साथ इसका रिएक्शन होता है। यह धातु को घुला देता है। अब इस कांच के जार में जो जामुन का रस है उसमें 200ml गन्ने का सिरका तथा दो चम्मच शहद अच्छी तरह से हिला कर मिला दे। मलमल के कपड़े से जार को अच्छे से ढक कर गर्म स्थान में पंद्रह दिन तक रख दें तथा बाद में साफ कपड़े से छानकर कांच की बोतल में डालकर रख दें।
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ भावप्रकाश निघंटू के अनुसार जामुन के गुण व प्रयोग :--जामुन वातनाशक, ग्राही ,मूत्र संग्रहणीय तथा मधुमेह नाशक है और इसके पत्ते वमन रोधक (उल्टी को रोकने वाले) हैं।
प्रयोग :--(१) इसकी छाल कषाय एवं स्तंभक होनेेे के का इसके क्वाथ का उपयोग गण्डूष तथा व्रण प्रक्षालन के लिए तथा अतिसार आदि में करते हैं। इसका ताजा रस बकरी के दूध में मिलाकर बच्चोंं के अतिसार (दस्त) में देेेते हैं ।
(२) इसके बीज मधुमेह मैं प्रयोग किए जाते हैं जिससे रक्तगत शर्करा का प्रमाण कम हो जाता है।
(३) पत्तों का रस रक्तातिसार तथा अत्यार्तव (औरतों में माशिक धर्म की अधिकता) में दिया जाता है।
(४) इसका सिरका तथा आसव दीपन और पाचन होता है तथा उसे मधुमेह, अतिसार आदि में देते हैं।
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