आज का हमारा विषय है अग्नीमन्द यानी digestive insufficiency , जिसका अर्थ साफ झलक रहा है जो की है अग्नी का मन्द हो जाना। आचार्यो ने अग्नी को शरीर के पोषण में प्रधान कारण माना है। यदि जठराग्नी शांत हो जाए तो मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। Digestive insufficiency अनेक व्याधियों का लक्षण तथा स्वयं भी एक व्याधि है। Inadequate digestion of food is know as digestive insufficiency . लक्षण (Symptoms of indigestion or digestive insufficiency) 1. उदर शूल (pain in abdomen) 2.तोद (pricking pain in the abdomen) 3.दौर्बल्य (weakness) 4.विबंध तथा आध्मान (constipation and tympanitis) 5.अंगमर्द (bodyache) 4.मूखशोस (dryness of mouth) 5.अरुचि (anorexia) 6.तृष्णा (polydypsia and burning sensation) 7.अत्यधिक स्वेद (excessive perspiration) 8.अम्लोदार (acidic eructations) 9.उत्कलेश (nausea) 10.छर्दि (vomiting) 11.कपोल तथा नेत्र कुट मे शोथ (swelling over eyes and face) 12.क्लम (tiredness without exertion) 13.आलस्य (lassitude) 14.स्तब्धता (stiffness) 15. शरीर मे भारीपन (heaviness in...
यदि आपके घर की चारदीवारी के अंदर की तरफ आग्नेय कोण में थोड़ी खाली जगह है तो आप अनार का पौधा अवश्य लगाएं यह पौधा आकार में बहुत बड़ा नहीं होता इसलिए अधिक स्थान भी नहीं घेरता है अब आपके दिमाग में यह सवाल आएगा कि इसके पीछे ऐसी क्या खास बात है। आजकल वास्तु के महत्व को लगभग सभी लोग मानने लगे हैं यदि अनजाने में आपके घर में आपने कोई फलदार पौधा वास्तु के विपरीत लगा रखा है और आपको इस बात का पता लग जाता है तो आप उसको तुरंत उखाड़ कर फेंक देंगें चाहे वह कितना ही लाभकारी क्यों ना हो। इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है की अनार के पौधे को घर में किस दिशा में लगाया जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण अनार के पौधे के लिए सही स्थान है यदि आप अग्नि कोण में इस पौधे को लगाएंगे तो यह आपके लिए अत्यंत सुखदाई व शुभ कारक साबित होगा तथा इससे आपके ग्रह दोष दूर होंगे। ऐसा माना जाता है कि अनार के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों निवास करते हैं, अनार के फूलों को शहद में डुबोकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं । पुराने जमाने में अनार की टहनी से बनाई गई ...