इसी दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती भी मनाई जाती है भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद का भगवान माना गया है इनके बारे में विष्णु पुराण में कथा है की जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुंद्र मंथन चल रहा था तब उसी मंथन के दौरान श्री धन्वंतरी भगवान की उत्पत्ति हुई उनके हाथ में अमृत से भरा हुआ कलश था उसी अमृत का पान करके देवता शक्तिशाली हुुए तथा राक्षसों को पराजित कर पाए ! भगवान धन्वंतरी को विष्णु के अवतार के रूप में माना जाता है लेकिन अधिकतर लोग केवल धन की लालसा को ध्यान में रखते हुए धनतेरस को ही मानते हैं भगवान धन्वंतरी की तरफ ध्यान कम लोगों का ही जाता है लेकिन एक बात ध्यान में रखनी चाहिए की स्वस्थ शरीर के बिना धन का क्या प्रयोजन है अगर शरीर रुग्ण रहता है तो धन की महता कुछ नहीं , इसलिए हमें भगवान धन्वंतरि जी के पूजन व स्तुति का भी ध्यान रखना चाहिए ! भगवान धनवंतरी जी ने अनेकों आयुर्वेद के ग्रंथों की रचना की और कई शिष्य उनके प्रसिद्ध है जिनमें सुश्रुत आचार्य भी शामिल हैं लेकिन यह पीड़ा की बात है कि उनके लिखे हुए ग्रंथों में केवल एक ग्रंथ ही आज उपलब्ध है जिसका नाम है धनवंतरी संहिता !
अब धन्वंतरी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा है आज दिनांक 13 नवंबर 2020 को पांचवा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है इस उपलक्ष पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश में आयुर्वेद के लिए दो अनुसंधान केंद्रों का उद्घाटन किया है जिसमें एक जामनगर आयुर्वेद अध्ययन अनुसंधान संस्थान तथा दूसरा जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान शामिल हैं!
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