इच्छा शक्ति (Will power) और आत्म संयम ( Self control) यह दो ऐसे साधन हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन को पूर्णता सफल बना सकते हैं ।
दृढ़ इच्छाशक्ति के बिना हमारे अंदर कार्यक्षमता का सर्वदा अभाव रहता है और आत्म संयम तो सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक मूल मंत्र है, आत्म संयम से ही हमारी योजनाओं को दिशा व गति मिलती है।
मैंने साधन शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया है कि इच्छा शक्ति ओर संयम इन दोनों में पारंगत होने के लिए हमें नित्य प्रयासरत रहना पड़ता है।
यह एक प्रकार का योग है ! उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं और आपको सुबह उठकर सुबह की सैर ( Morning walk) करने की सलाह दी जाती है लेकिन यदि आपकी इच्छा शक्ति कमजोर होगी तो आप सुबह मॉर्निंग वॉक पर जा नहीं पाएंगे।
आप उसको आगे टालते रहेंगे, कल से शुरू करेंगे या उससे अगले दिन या उससे अगले दिन लेकिन यदि आप सोते समय मन में दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ यह विचार लेकर सोएंगे कि इस बीमारी से निजात पाना है और मॉर्निंग वॉक इसके लिए सही एक्सरसाइज (Exercise) है कुछ भी हो मैं सुबह अवश्य ही जल्दी जागकर मॉर्निंग वॉक के लिए निकलूंगा तो आप अगले ही दिन मॉर्निंग वॉक पर चले जाएंगे।
इसी प्रकार आप अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग अन्य कार्यों में भी कर सकते हैं एक कमजोर इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों का आसानी से शिकार हो जाता है और अपने लक्ष्य पर पहुँच पाने में नाकामयाब रहता है ।
इसी प्रकार आत्मसंयमित होना भी नितांत जरूरी है क्योंकि मन को एकाग्र चित्त करने के लिए आत्म संयम का होना जरूरी है !हमारे मन में एक साथ अनेकों विचार चलते रहते हैं एक निश्चित लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए इन विचारों से पार पाना आवश्यक होता है यदि हम आत्म संयमित रहें तो हमारे मन में केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति का विचार ही प्रभावी रहेगा ।



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