सर्वश्च भाष्याध्वशयनं त्यजेत ।
पीत्वा भुक्त्ववाऽऽतपं वह्मिं यानं पऴवनवाहनम ।।
अष्टांगहृदय
अर्थात भोजन के अनंतर या जल आदि पीकर धूप में बैठना अग्नि का तापना ,कूदना -भागना, घोड़े आदि की सवारी करना, अधिक बोलना, लंबी दूरी तक चलना और नींद लेना इनका निषेध करना चाहिए तथा भोजन करने के अनंतर धीरे धीरे सो कदम टहल कर बाई करवट लेट जाना चाहिए।
आयुर्वेद(Ayurveda) केवल औषध विज्ञान ही नहीं है बल्कि बिना औषध सेवन किए कैसे स्वस्थ रह सकते हैं यह भी आयुर्वेद हमें सिखाता है आज हम चर्चा करेंगे हमारी पाचन क्रिया (Digestive system)कैसे तिव्र व सुचारू बनी रहे ।
यह तो हमें पता है कि भोजन के बगैर शरीर नहीं चल सकता लेकिन साथ में यह भी जरूरी है कि जो भोजन खाया जाए उसका सही तरीके से पाचन हो ताकि भोजन सही तरीके से एनर्जी में परिवर्तित हो जाए आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में हम लोग खाना खाने में भी उतनी ही जल्दी करते हैं खाने को ठीक से चबाकर नहीं खाते या अधिकतर लोगों के दांतों में कैविटी होती है जिसके कारण फाइबर युक्त भोजन खाने से वो बचते हैं ! रेशा युक्त भोजन हमारी पाचन क्रिया को सही रखता है अतः रेशा युक्त भोजन नहीं खाने से हमारी पाचन क्रिया और मंदी पड़ जाती है ।
अष्टांग हृदय नामक आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ के रचयिता आचार्य वाग्भट ने लिखा है कि भोजन के उपरांत धीरे धीरे सो कदम तक टहलना चाहिए इससे हमारी पाचन क्रिया तेज होती है तथा भोजन शीघ्र पच जाता है और पेट में अनावश्यक वायु जिसे उदान वायु भी कहा जाता है शरीर से बाहर निकल जाती है, यह करना कोई मुश्किल काम नहीं है इसे आप अपने घर के आंगन में या छत पर आसानी से कर सकते हैं ।
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