परमाणु बमों का जमावड़ा ।
युद्धों का अखाड़ा ।।
मूछों की लड़ाई।
नफरत की पढ़ाई।।
ना बचेंगी मूंछ ना और कुछ।
बर्बाद हो जाएगा सब कुछ।।
हर तरफ बर्बादी का सामान।
धरती हो या आसमान।।
ना खुद बचेंगे ना दूसरे को बचने देंगे।
ना जीव रहेंगे ना पेड़ बचेंगे।।
ना चिखों के बाद आंसू पूछने वाला।
बेबस नजर आएगा दुनिया बनाने वाला।।
ये विश्व को कहां लिए जा रहे हैं।
कुछ सिकुड़ी हुई मानसिकता वाले।।
खुद को अमर समझते हैं।
बारूद के ढेर पर।।
ना कोई समझने को तैयार है।
ना कोई समझाने को तैयार।।
एक दूसरे को मिटाने पर आमादा हैं।
विज्ञान का दुरुपयोग करने वाले।।
विज्ञान तरक्की के काम आए तो विज्ञान है।
नहीं तो केवल मूर्ख और अज्ञान है ।।
चिकित्सक कर्णवीर
पिलानी राजस्थान ।
राख का ढेर होगा
बहोत खूब , ऐसी पंक्तियां जो दिल को छू जाए, निश्चय को बदल दे और फिर भी फायदा करे , बहोत कम मिलती हैं पढने को
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया