कुछ वर्ष पहले तक ऐसा लगने लगा था कि आयुर्वेद अपना मूल खोने लगा है । दिन प्रतिदिन आयुर्वेद का रुझान कम होता जा रहा था ।आयुर्वेद के मर्मज्ञ विद्वानों की देश में कमी होती जा रही थी, जो कुछ बचे थे वह भी बेबस नजर आ रहे थे, वह अपनी बात अच्छी तरह रख भी नहीं पा रहे थे। आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं वरन् एक संपूर्ण जीवन दर्शन है अब प्रश्न यह उठता है के आयुर्वेद के साथ ऐसा क्यों हुआ। मैं आपको एक उदाहरण के साथ समझा रहा हूं - जैसे आप घर में दो पौधे लगाएं एक में समय पर खाद पानी दे और दूसरे में कभी कभार पानी दें और खाद का भी ध्यान ना रखें तो सीधी सी बात है जिस पौधे का ज्यादा ध्यान रखा गया वह बड़ा होता गया लेकिन जिसको देखा कम ध्यान रखा गया वह छोटा ही रह गया अभी ये समय का फेर कहिए या विदेशी शासकों का हमारे देश में लंबे समय तक राज करना इसका कारण रहा हो जिन्होंने अपनी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया और हमारे आयुर्वेद की हालत इस प्रकार हो गई जैसे कुपोषण के शिकार की होती है । मौजूदा मोदी सरकार ने अब आयुर्वेद पुनर्जीवित करने का जो संकल्प लिया है इससे कुछ आस जगी है और सरकार के प्रयास स...
यदि आपके घर की चारदीवारी के अंदर की तरफ आग्नेय कोण में थोड़ी खाली जगह है तो आप अनार का पौधा अवश्य लगाएं यह पौधा आकार में बहुत बड़ा नहीं होता इसलिए अधिक स्थान भी नहीं घेरता है अब आपके दिमाग में यह सवाल आएगा कि इसके पीछे ऐसी क्या खास बात है। आजकल वास्तु के महत्व को लगभग सभी लोग मानने लगे हैं यदि अनजाने में आपके घर में आपने कोई फलदार पौधा वास्तु के विपरीत लगा रखा है और आपको इस बात का पता लग जाता है तो आप उसको तुरंत उखाड़ कर फेंक देंगें चाहे वह कितना ही लाभकारी क्यों ना हो। इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है की अनार के पौधे को घर में किस दिशा में लगाया जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण अनार के पौधे के लिए सही स्थान है यदि आप अग्नि कोण में इस पौधे को लगाएंगे तो यह आपके लिए अत्यंत सुखदाई व शुभ कारक साबित होगा तथा इससे आपके ग्रह दोष दूर होंगे। ऐसा माना जाता है कि अनार के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों निवास करते हैं, अनार के फूलों को शहद में डुबोकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं । पुराने जमाने में अनार की टहनी से बनाई गई ...