आप आधुनिक भी बने रहिए कोई दिक्कत नहीं है आप लैपटॉप चलाइए फोन यूज़ करिए गाड़ी यूज़ करिए लेकिन इसके साथ साथ हमारे शुद्ध देसी खान पान को मत छोड़िएगा, आप खुद भी इस्तेमाल करिए तथा नई पीढ़ी है उनको भी बताइए अपने दोस्तों को रिश्तेदारों को सबको यह बताइए कि रात को दलिया या खिचड़ी खाने के अनेक लाभ हैं।
आजकल हम भारतीय हमारी सभी पुरानी परंपराओं यहां तक की हमारा शुद्ध देसी खानपान जिसका हमें स्वस्थ एवं लंबी आयु प्रदान करने में विशेष महत्व रहा है उसको भी हमने छोड़ दिया है। हमारे पूर्वजों के समय लगभग प्रत्येक घर में रात के खाने में दलिया या खिचड़ी जरूर होती थी। ऐसा क्यों होता था इसके पीछे कुछ कारण जरूर रहा होगा आइए जानते हैं !
इसके पीछे एक कारण तो यह था कि रात का खाना हमेशा हल्का लेना चाहिए जो आसानी से पच सके क्योंकि रात को शरीर आराम अवस्था में होता है इससे हमारी पाचन क्रिया मंद रहती है ऐसे में यदि हम ऐसा भोजन करें जो पचने में काफी मुश्किल हो तो उस से अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती है दलिया खिचड़ी दोनों ही आसानी से पचने वाले भोजन हैं इसलिए उन्होंने इनका चयन किया होगा।
दूसरा कारण यह है हो सकता है कि दलिया खिचड़ी बनाने में मिर्च मसालों या इनको तलने की जरूरत नहीं है तला हुआ भोजन भी आसानी से नहीं पचता है अत्यधिक मसाला युक्त भोजन रात्रि में अधिक प्यास उत्पन्न करता है इससे बार-बार पानी पीना पड़ता है और अधिक पानी पीने से रात्रि में बार-बार पेशाब करने भी जाना पड़ता है खासकर बुजुर्ग लोगों के लिए यह और अधिक मुश्किल हो जाता है।
तीसरा गरीब से गरीब लोग भी इसको बनाकर सेवन कर सकता है इनको बनाने में ज्यादा खर्च नहीं लगता आजकल दलिया बाजार में बना बनाया मिलता है जो मशीनों से बनाया जाता है पहले महिलाएं पत्थर के उख्खल में लकड़ी के मुसल से इनको पकाने से पहले तैयार करती थी जिससे न तो कोई खर्च आता था बल्कि महिलाओं की कसरत भी हो जाती थी।


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