वायु जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, वायु से प्राप्त ऑक्सीजन द्वारा शरीर में उपापचय क्रियाएं संपन्न होती है जिससे कि शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। वायु में विभिन्न अशुद्धियां मिलने के फल स्वरुप विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो जाती है।

अशुद्ध वायु क्या होती है ?
आयुर्वेद में दूषित वायु का वर्णन चरक संहिता के विमान स्थान में जनपदोंध्वंस नाम से अध्याय नंबर तीन के अंतर्गत वर्णन किया गया है ।
यह दूषित वायु आरोग्य को नष्ट कर ऋतुओं के विपरीत गुणवाली, अधिक स्थिर या अधिक वेग वाली ,अधिक रुक्ष, अधिक शीत, अधिक कर्कश, अधिक अभिष्यन्दी, अधिक डरावनी, असात्मय एवं वाष्प युक्त, सिकता, धूल एवं धुंआ युक्त होती है।
Air pollution is the presence of gases or particulated matter in the atmosphere by human activity in such concentration which interfare with human health, safety aur comfort and injurious together environmental media i.e. vegetation, animals etc.
Normal composition of air:-
Gas (% by volume)
•Nitrogen :- 78.1%
•Oxygen:- 20.93
•Carbondioxide:- 0.03
* And some traces of Helium ,Neon, Argon, Krypton and Xenon
•Air also contains water and vapour ,traces of ammonia and suspended Matter( Dust, Bacteria, Spores etc.)
वायु शोधन के उपाय
(Purification of air):-
नीचे दी गई जड़ी बूटियां को इकट्ठा कर उसको जलाकर उसके धुएं से वायु का शोधन करें:-
१. लाक्षा
२. हरिद्रा
३. अतिविषा
४. हरीतकी
५. मुस्ता
६. एला
७. दालचीनी
८. कुष्ठ
९. प्रियंगु
नीचे दी गई जड़ी बूटियां से हवन करने से वायु शुद्ध होती है:-
१. कर्पूर
२. देवदारु
३. धूप
४. चन्दन
५. श्रीवेष्टक
६. सर्ज
७. अगरु
८. निम्ब
९. बाकुची
१०. गंधक
११. गुग्गुलु
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