दीपावली भारतवर्ष में मनाया जाने वाला सबसे मुख्य तथा प्राचीन त्योहार है इसकी शुरुआत त्रेता युग में ही हो गई थी जब श्री रामचंद्र जी 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे इस खुशी में जनता ने दीप जलाकर अपनी खुशियां प्रकट की थी तब से आज तक हमारे देश की जनता इसी प्रकार दीप जलाकर यह त्यौहार मनाती है लेकिन इसके स्वरूप में काफी कुछ बदलाव आया है कुछ नई चीजें जुड़ गई है मुझे याद है जब मैं छोटा था तब दीपावली पर पटाखे आतिशबाजी आदि की कोई परंपरा नहीं थी यह अच्छी बात भी थी क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं होता था ! आजकल बहुत ज्यादाआतिशबाजी किए जाने से काफी प्रदूषण फैल रहा है! दोनों प्रकार का प्रदूषण फैलता है आवाज से और इनसे निकलने वाले धुएँ से ! पहला बदलाव:--- पुराने जमाने में जब बिजली की खोज नहीं हुई थी तब घी या सरसों के तेल से दीपक जलाते थे लेकिन आजकल नई टेक्नोलॉजी के चलते अनेक प्रकार की बिजली से जलने वाली लड़ियों का प्रयोग किया जाता है जो कि कीमत में ज्यादा महंगी है तथा बिजली भी ज्यादा खर्च होती है और इनका प्रकाश दीपक के प्रकाश के मुकाबले आंखों को नुकसान पहुंचात...
यदि आपके घर की चारदीवारी के अंदर की तरफ आग्नेय कोण में थोड़ी खाली जगह है तो आप अनार का पौधा अवश्य लगाएं यह पौधा आकार में बहुत बड़ा नहीं होता इसलिए अधिक स्थान भी नहीं घेरता है अब आपके दिमाग में यह सवाल आएगा कि इसके पीछे ऐसी क्या खास बात है। आजकल वास्तु के महत्व को लगभग सभी लोग मानने लगे हैं यदि अनजाने में आपके घर में आपने कोई फलदार पौधा वास्तु के विपरीत लगा रखा है और आपको इस बात का पता लग जाता है तो आप उसको तुरंत उखाड़ कर फेंक देंगें चाहे वह कितना ही लाभकारी क्यों ना हो। इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है की अनार के पौधे को घर में किस दिशा में लगाया जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण अनार के पौधे के लिए सही स्थान है यदि आप अग्नि कोण में इस पौधे को लगाएंगे तो यह आपके लिए अत्यंत सुखदाई व शुभ कारक साबित होगा तथा इससे आपके ग्रह दोष दूर होंगे। ऐसा माना जाता है कि अनार के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों निवास करते हैं, अनार के फूलों को शहद में डुबोकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं । पुराने जमाने में अनार की टहनी से बनाई गई ...